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Bihar Board Class 10 Science Chapter 16 Solutions – प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16: प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन


Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16: प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.


Bihar Board class 10 Science chapter 16 – “प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन” solutions are available here. This is our free guide that provides you all the questions and answers of chapter 16 in Hindi medium.


Bihar Board Class 10 Science Chapter 16 Solutions – प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्राकृतिक संसाधनों का महत्व


प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन (Bihar Board class 10 Science chapter 16) में हम प्राकृतिक संसाधनों के महत्व और उनके संपोषित (टिकाऊ) प्रबंधन के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। हम जानेंगे कि प्राकृतिक संसाधन क्या हैं, उनके प्रकार क्या हैं, और वे हमारे जीवन में किस तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस अध्याय में हम वन, जल, खनिज और जैव विविधता जैसे प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हम इन संसाधनों के अत्यधिक दोहन के परिणामों और उनके संरक्षण की आवश्यकता को समझेंगे।


प्रश्नोत्तर: 16.1 पर आधारित


प्रश्न 1. पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं?

उत्तर: पर्यावरण-मित्र बनने के लिए हम कई प्रभावी परिवर्तन कर सकते हैं। ऊर्जा और पानी का कम उपयोग करना चाहिए। प्लास्टिक के बजाय पुनः प्रयोज्य वस्तुओं का उपयोग करें। सार्वजनिक परिवहन या साइकिल का उपयोग करें। कचरे को अलग-अलग करके पुनर्चक्रण को बढ़ावा दें। स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन करें। पेड़ लगाकर और जैव विविधता को संरक्षित करके पर्यावरण की रक्षा करें।


प्रश्न 2. संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?

उत्तर: कम अवधि की परियोजनाओं से तत्काल आर्थिक लाभ हो सकता है। ये परियोजनाएं तेजी से रोजगार और राजस्व पैदा कर सकती हैं। इनसे अल्पकालिक विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार हो सकता है। हालांकि, ये लाभ अक्सर अस्थायी होते हैं और दीर्घकालिक नुकसान की कीमत पर आते हैं। इसलिए, इन परियोजनाओं को सावधानी से नियोजित करना चाहिए ताकि पर्यावरण और भविष्य की पीढ़ियों के हितों की रक्षा हो सके।


प्रश्न 3. यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं?

उत्तर: कम अवधि की परियोजनाएं तत्काल लाभ पर केंद्रित होती हैं, जबकि दीर्घकालिक परियोजनाएं टिकाऊ विकास पर ध्यान देती हैं। लंबी अवधि की योजनाएं संसाधनों का संरक्षण करती हैं और भावी पीढ़ियों के लिए उन्हें सुरक्षित रखती हैं। ये पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता देती हैं। दीर्घकालिक परियोजनाएं स्थायी आर्थिक विकास, बेहतर जीवन गुणवत्ता और पारिस्थितिक संतुलन सुनिश्चित करती हैं।


प्रश्न 4. क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?

उत्तर: संसाधनों का समान वितरण आवश्यक है क्योंकि यह सामाजिक न्याय और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करता है। हालांकि, कुछ शक्तियां इसका विरोध करती हैं। बड़ी कंपनियां और धनी व्यक्ति अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए संसाधनों पर नियंत्रण चाहते हैं। राजनीतिक शक्तियां भी अपने हित में संसाधनों का असमान वितरण कर सकती हैं। भ्रष्टाचार और कमजोर नीतियां भी समान वितरण में बाधा डालती हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत कानून और जागरूक समाज आवश्यक है।


प्रश्नोत्तर: 16.2 पर आधारित


प्रश्न 1. हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?

उत्तर: वन और वन्य जीवन का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। वन पृथ्वी के फेफड़े हैं जो वायु को शुद्ध करते हैं और जलवायु को नियंत्रित करते हैं। वे मिट्टी का क्षरण रोकते हैं और जल चक्र को बनाए रखते हैं। वन विभिन्न प्रजातियों का आवास हैं, जो पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं। वन्य जीवन जैव विविधता को बढ़ावा देता है, जो पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, वन और वन्य जीवन मानव जीवन के लिए आवश्यक संसाधन और दवाएं प्रदान करते हैं। उनका संरक्षण हमारे अस्तित्व और भविष्य की पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण है।


प्रश्न 2. संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।

उत्तर: संरक्षण के लिए कई प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। वनों की कटाई पर रोक लगाकर और व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाकर वन क्षेत्र को बढ़ाया जा सकता है। जैविक खेती और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देकर रासायनिक प्रदूषण को कम किया जा सकता है। वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना और सुरक्षा से दुर्लभ प्रजातियों को बचाया जा सकता है। स्थानीय समुदायों को वन प्रबंधन में शामिल करके उन्हें आजीविका प्रदान की जा सकती है। पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से जन जागरूकता बढ़ाई जा सकती है। कानूनों को सख्ती से लागू करके अवैध शिकार और वन उत्पादों के दोहन को रोका जा सकता है।


प्रश्नोत्तर: 16.3 पर आधारित


प्रश्न 1. अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।

उत्तर: राजस्थान में ‘खादिन’ या ‘ढोरा’ एक प्राचीन जल संग्रहण पद्धति है। यह 15वीं सदी में जैसलमेर के पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा विकसित की गई थी। खादिन पद्धति में पहाड़ी ढलानों पर 100-300 मीटर लंबा बांध बनाया जाता है। यह बांध वर्षा जल को रोककर खेतों में संग्रहित करता है। अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने की व्यवस्था भी होती है। जल से संतृप्त मिट्टी का उपयोग बाद में फसल उगाने के लिए किया जाता है। यह पद्धति शुष्क क्षेत्रों में कृषि को संभव बनाती है और मिट्टी की नमी बनाए रखती है।


प्रश्न 2. इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।

उत्तर: पहाड़ी क्षेत्रों में ‘कुल्ह’ नामक जल प्रबंधन प्रणाली प्रचलित है, जो खादिन से भिन्न है। कुल्ह में नदियों से जल को छोटी नहरों द्वारा नीचे के गांवों तक पहुंचाया जाता है। इसका प्रबंधन ग्रामीण समुदाय द्वारा किया जाता है। कृषि मौसम में दूरस्थ गांवों को पहले जल दिया जाता है। कुल्ह से भूजल पुनर्भरण भी होता है। मैदानी क्षेत्रों में तालाब, कुएं और बावड़ियां प्रमुख जल स्रोत हैं। पठारी क्षेत्रों में चेक डैम और छोटे बांध बनाए जाते हैं। प्रत्येक क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार जल संग्रहण पद्धतियां भिन्न होती हैं।


प्रश्न 3. अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?

उत्तर: हमारे क्षेत्र में जल के मुख्य स्रोत भूजल और नगर निगम द्वारा आपूर्ति किया गया जल हैं। भूजल का दोहन बोरवेल और हैंडपंप के माध्यम से किया जाता है। नगर निगम पाइपलाइन के माध्यम से जल वितरित करता है। गर्मियों में इन स्रोतों से जल की उपलब्धता कम हो जाती है। सभी निवासियों को समान रूप से जल उपलब्ध नहीं हो पाता है। कुछ क्षेत्रों में जल की कमी और अनियमित आपूर्ति की समस्या है। इस स्थिति को सुधारने के लिए वर्षा जल संचयन, जल का पुनर्चक्रण और कुशल जल प्रबंधन जैसे उपाय आवश्यक हैं।


अभ्यास


प्रश्न 1. अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं?

उत्तर: घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए कई प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। ऊर्जा-कुशल एलईडी बल्ब और उपकरणों का उपयोग करें। बिजली और पानी का अपव्यय रोकें। कचरे को अलग-अलग करके पुनर्चक्रण को बढ़ावा दें। प्लास्टिक के बजाय पुन: प्रयोज्य वस्तुओं का उपयोग करें। घर में पौधे लगाएं और छत पर बागवानी करें। वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करें। जैविक कचरे से कम्पोस्ट बनाएं। सौर ऊर्जा का उपयोग करें। इन उपायों से घर का पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा और संसाधनों की बचत होगी।


प्रश्न 2. क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यावरण-मित्र बनाया जा सके?

उत्तर: विद्यालय को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था और उपकरण लगाएं। पुनर्चक्रण कार्यक्रम शुरू करें। विद्यालय परिसर में पेड़ लगाएं और बागवानी करें। वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करें। कैंटीन में एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाएं। पर्यावरण क्लब बनाएं और नियमित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें। सौर पैनल लगाएं। पर्यावरण संबंधी विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करें। इन उपायों से विद्यालय का पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा और छात्रों में पर्यावरण संरक्षण की भावना विकसित होगी।


प्रश्न 3. इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं? आप ऐसा क्यों सोचते हैं?

उत्तर: वन उत्पाद प्रबंधन के लिए स्थानीय समुदायों और सरकारी वन विभाग के बीच साझा प्रबंधन सबसे उपयुक्त है। स्थानीय लोगों के पास वनों का पारंपरिक ज्ञान है और वे इनका संपोषित उपयोग करते हैं। वन विभाग वैज्ञानिक प्रबंधन और कानूनी संरक्षण प्रदान कर सकता है। दोनों के बीच सहयोग से वनों का संरक्षण और स्थानीय आजीविका दोनों सुनिश्चित हो सकते हैं। उद्योगों और प्रकृति प्रेमियों की भूमिका सलाहकार की हो सकती है। यह व्यवस्था पर्यावरण संरक्षण और समुदाय के विकास में संतुलन बनाएगी। साथ ही, यह वनों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और उत्पादकता को भी सुनिश्चित करेगी।


प्रश्न 4. अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं?

(a) वन एवं वन्य जंतु

(b) जल संसाधन

(c) कोयला एवं पेट्रोलियम


उत्तर:

(a) वन एवं वन्य जंतु: वन संरक्षण गतिविधियों में स्वयंसेवक बनें। पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें। वन्यजीव उत्पादों का उपयोग न करें। जागरूकता फैलाएं और दूसरों को शिक्षित करें। वन्यजीव अभयारण्यों का जिम्मेदार पर्यटन करें। स्थानीय वन प्रबंधन समितियों में भाग लें। अवैध शिकार या वनों की कटाई की सूचना अधिकारियों को दें।


(b) जल संसाधन: पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करें। रिसाव वाले नलों की मरम्मत करें। वर्षा जल संचयन अपनाएं। कम पानी की खपत वाले पौधे लगाएं। पानी का पुनर्चक्रण करें। जल स्रोतों को प्रदूषित न करें। जल संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाएं।


(c) कोयला एवं पेट्रोलियम: ऊर्जा कुशल उपकरण उपयोग करें। अनावश्यक बिजली उपकरण बंद रखें। सार्वजनिक परिवहन या साइकिल का उपयोग करें। कार पूलिंग करें। वाहन का नियमित रखरखाव करें। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करें। ऊर्जा संरक्षण की आदतें विकसित करें।


प्रश्न 5. अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?

उत्तर: प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए कई उपाय अपनाए जा सकते हैं। ऊर्जा कुशल एलईडी बल्ब और उपकरण उपयोग करें। अनावश्यक बिजली उपकरण बंद रखें। पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करें और रिसाव रोकें। पुनर्नवीनीकरण और पुन: उपयोग को बढ़ावा दें। स्थानीय और मौसमी उत्पाद खरीदें। एकल-उपयोग प्लास्टिक से बचें। सार्वजनिक परिवहन या साइकिल का उपयोग करें। अपने उपभोग पैटर्न का विश्लेषण करें और अनावश्यक खरीदारी से बचें। इन छोटे-छोटे कदमों से प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है।


प्रश्न 6. निम्न से संबंधित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं –

(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।

(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।


उत्तर:

(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण:

  1. बिजली बचाने के लिए अनावश्यक लाइट्स और उपकरण बंद किए।

  2. पानी बचाने के लिए नहाते समय बाल्टी का उपयोग किया।

  3. छोटी दूरी के लिए साइकिल का उपयोग किया।

  4. कचरे को अलग-अलग करके पुनर्चक्रण को बढ़ावा दिया।

  5. एकल-उपयोग प्लास्टिक के बजाय पुन: प्रयोज्य बैग का उपयोग किया।


(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है:

  1. लंबे समय तक शॉवर का उपयोग किया।

  2. एयर कंडीशनर का अधिक उपयोग किया।

  3. अनावश्यक वस्तुओं की खरीदारी की।

  4. वाहन को खाली चलाया।

  5. बचे हुए भोजन को फेंक दिया।


प्रश्न 7. इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन-शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके?

उत्तर: संसाधनों के संपोषण के लिए कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए जा सकते हैं। ऊर्जा और पानी के उपयोग में कमी लाएं। पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। स्थानीय और मौसमी उत्पादों को प्राथमिकता दें। एकल-उपयोग प्लास्टिक का त्याग करें। सार्वजनिक परिवहन या साइकिल का अधिक उपयोग करें। अपने उपभोग पैटर्न का विश्लेषण करें और अनावश्यक खरीदारी से बचें। प्राकृतिक संसाधनों के महत्व के बारे में दूसरों को शिक्षित करें। इन छोटे-छोटे बदलावों से हम संसाधनों के संपोषित उपयोग में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।


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