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Golden Rules of Accounting in Hindi – लेखांकन के 3 सुनहरे नियम आसान भाषा में । Go my class

लेखांकन के सुनहरे नियम (Golden Rules of Accounting) – आसान भाषा में सम्पूर्ण जानकारी


परिचय: हर व्यवसाय में लेखा-जोखा (Accounting) का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। किसी भी संस्था या व्यक्ति की आर्थिक स्थिति जानने के लिए लेन-देन का सही रिकॉर्ड रखना आवश्यक है।

लेखांकन की प्रक्रिया में हम हर लेन-देन को दो भागों में बाँटते हैं – डेबिट (Debit) और क्रेडिट (Credit)। लेकिन सवाल यह उठता है कि किस खाते को डेबिट करें और किसे क्रेडिट करें?

इसी उलझन को आसान बनाने के लिए लेखांकन में कुछ बुनियादी नियम बनाए गए जिन्हें हम Golden Rules of Accounting (लेखांकन के सुनहरे नियम) कहते हैं।

Golden Rules of Accounting summary image in Hindi for students and beginners

Golden Rules of Accounting क्या हैं?

Golden Rules of Accounting ऐसे तीन मूलभूत नियम हैं जिनके आधार पर हर लेन-देन को बहीखातों (Books of Accounts) में सही तरीके से दर्ज किया जाता है।

ये नियम तीन प्रकार के खातों पर लागू होते हैं:

  1. Personal Account (व्यक्तिगत खाता)

  2. Real Account (वास्तविक खाता)

  3. Nominal Account (नाममात्र खाता)


आइए इन तीनों को सरल उदाहरणों के साथ समझते हैं।


1. Personal Account (व्यक्तिगत खाता)

मतलब: यह खाते व्यक्ति, संस्था या किसी संगठन से संबंधित होते हैं। जैसे – ग्राहक (Debtors), सप्लायर (Creditors), बैंक, पार्टनर आदि।


नियम:

👉 “Debit the Receiver, Credit the Giver” (जो प्राप्त करे उसे डेबिट करो, जो दे उसे क्रेडिट करो)

समझने का तरीका: जब भी कोई व्यक्ति या संस्था हमसे कुछ प्राप्त करती है, तो उसे हम डेबिट करते हैं, और जो कुछ देती है, उसे क्रेडिट करते हैं।


उदाहरण: राम ने कंपनी को ₹1,000 दिए —

  • राम = देने वाला (Credit)

  • कंपनी = पाने वाली (Debit)


Journal Entry:

Cash A/c   Dr.  ₹1,000  
  To Ram A/c    ₹1,000

2. Real Account (वास्तविक खाता)

मतलब: यह खाते कंपनी की संपत्तियों और वस्तुओं से संबंधित होते हैं — जो चीजें भौतिक रूप से मौजूद होती हैं या जिनका मूल्य मापा जा सकता है।

जैसे – कैश, फर्नीचर, बिल्डिंग, मशीन, जमीन आदि।


नियम:

👉 “Debit what comes in, Credit what goes out” (जो अंदर आए उसे डेबिट करो, जो बाहर जाए उसे क्रेडिट करो)

समझने का तरीका: जब कोई संपत्ति कंपनी में आती है तो हम उसे डेबिट करते हैं, और जब कोई संपत्ति कंपनी से बाहर जाती है तो उसे क्रेडिट करते हैं।


उदाहरण: कंपनी ने ₹5,000 में मशीन खरीदी —

  • मशीन आई (Debit)

  • कैश गया (Credit)


Journal Entry:

Machinery A/c   Dr.  ₹5,000  
  To Cash A/c        ₹5,000

3. Nominal Account (नाममात्र खाता)

मतलब: यह खाते खर्चों (Expenses), हानियों (Losses), आय (Incomes) और लाभ (Gains) से संबंधित होते हैं।

जैसे – वेतन (Salary), किराया (Rent), बिजली बिल (Electricity), कमीशन (Commission), ब्याज (Interest) आदि।


नियम:

👉 “Debit all expenses and losses, Credit all incomes and gains” (सभी खर्चों और हानियों को डेबिट करो, सभी आय और लाभों को क्रेडिट करो)

समझने का तरीका: अगर पैसा खर्च हो रहा है या नुकसान हो रहा है, तो वह डेबिट होता है। अगर पैसा आ रहा है या लाभ हो रहा है, तो वह क्रेडिट होता है।


उदाहरण: कंपनी ने ₹500 बिजली बिल दिया —

  • बिजली खर्च = डेबिट

  • कैश = क्रेडिट


Journal Entry:

Electricity Expense A/c Dr. ₹500  
 To Cash A/c          ₹500

Golden Rules of Accounting का सारांश (Chart Form में)

खाता प्रकार

नियम

उदाहरण

Personal Account

जो प्राप्त करे उसे डेबिट करो, जो दे उसे क्रेडिट करो

राम ने ₹1000 दिए → राम (Cr), कंपनी (Dr)

Real Account

जो अंदर आए उसे डेबिट करो, जो बाहर जाए उसे क्रेडिट करो

मशीन खरीदी → मशीन (Dr), कैश (Cr)

Nominal Account

सभी खर्चों/हानियों को डेबिट करो, सभी आय/लाभ को क्रेडिट करो

किराया दिया → किराया (Dr), कैश (Cr)


Golden Rules of Accounting का उपयोग क्यों आवश्यक है?

  1. सही रिकॉर्ड रखने के लिए: ये नियम बताते हैं कि हर लेन-देन को कैसे और कहाँ दर्ज करना है, जिससे खातों में कोई गड़बड़ी न हो।

  2. पारदर्शिता (Transparency): इन नियमों से किसी भी संस्था का वित्तीय रिकॉर्ड साफ-सुथरा और पारदर्शी रहता है।

  3. ऑडिट और रिपोर्टिंग में आसानी: जब सब कुछ नियमों के अनुसार दर्ज किया जाता है, तो ऑडिट और वित्तीय रिपोर्ट बनाना आसान होता है।

  4. कानूनी पालन: सही लेखांकन से कानून और टैक्स नियमों का पालन करना भी सरल होता है।

  5. निर्णय लेने में मदद: सटीक लेखा रिकॉर्ड से मालिक या मैनेजर को व्यवसायिक निर्णय लेने में सहायता मिलती है।


निष्कर्ष

Golden Rules of Accounting लेखांकन की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं।ये तीन सरल नियम हर अकाउंटेंट को यह तय करने में मदद करते हैं कि किसी भी लेन-देन में कौन-सा खाता डेबिट होगा और कौन-सा क्रेडिट।


अगर आप अकाउंटिंग के विद्यार्थी हैं या व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, तो इन नियमों को अच्छे से समझ लेना बहुत ज़रूरी है।इन नियमों के ज़रिए आप अपने बहीखातों को न केवल सही रख पाएँगे, बल्कि अपने व्यवसाय की आर्थिक स्थिति को भी बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।


संक्षेप में याद रखें:

Personal Account → Debit the Receiver, Credit the Giver
Real Account → Debit what comes in, Credit what goes out
Nominal Account → Debit all Expenses/Losses, Credit all Incomes/Gains

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